भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं, राजनीतिक दलों और सामाजिक हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। केंद्र सरकार ने इस दुखद अवसर पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। यह शोक 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक रहेगा।
मनमोहन सिंह का जीवन और योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत (तब अविभाजित भारत) के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। मनमोहन सिंह ने अपनी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री थे और अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सेवाएं दीं।
डॉ. सिंह को 1991 में देश की आर्थिक उदारीकरण नीति के जनक के रूप में जाना जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में वे वित्त मंत्री बने और उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर खोलने में अहम भूमिका निभाई। उनके प्रयासों ने देश को आर्थिक संकट से उबारा और भारत को एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया।
2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वे अपनी सादगी, ईमानदारी और दूरदृष्टि के लिए जाने जाते थे।
देश में शोक की लहर
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश शोकाकुल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह एक महान नेता, कुशल प्रशासक और भारत की प्रगति के प्रति समर्पित थे। उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।”
कांग्रेस पार्टी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने देश की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।”
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार, 28 दिसंबर को दिल्ली में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाएगा और 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, अंतिम संस्कार का स्थान राजघाट परिसर या कोई अन्य विशिष्ट स्थल हो सकता है। हालांकि, अंतिम निर्णय उनके परिवार की सहमति से लिया जाएगा।
सरकारी प्रोटोकॉल और राष्ट्रीय शोक
पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर केंद्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में किसी भी प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
सरकारी प्रोटोकॉल के तहत, पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। देश के शीर्ष नेता और आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। अंतिम संस्कार के समय सैन्य सम्मान के साथ 21 तोपों की सलामी दी जाएगी।
कांग्रेस ने भी अपने कार्यक्रम रद्द किए
कांग्रेस पार्टी ने डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में अपने सभी आधिकारिक कार्यक्रम 7 दिनों के लिए रद्द कर दिए हैं। पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “डॉ. सिंह ने देश को जो दिया, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उनका जीवन और उनकी सेवाएं हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं।”
डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार का संभावित स्थान
देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार अक्सर दिल्ली में ही होता है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का अंतिम संस्कार राजघाट परिसर में किया गया था। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के लिए अलग से “सदैव अटल” नामक स्मारक बनाया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए भी दिल्ली में स्थान तय किया जा रहा है। हालांकि, कुछ मामलों में परिवार की इच्छा के अनुसार अंतिम संस्कार गृह राज्य में भी किया जाता है।
डॉ. मनमोहन सिंह का आर्थिक और राजनीतिक योगदान
डॉ. सिंह का सबसे बड़ा योगदान भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार और उन्हें आधुनिक बनाना रहा। उन्होंने 1991 में वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), सूचना का अधिकार (आरटीआई), और शिक्षा का अधिकार जैसे क्रांतिकारी कदम उठाए। उन्होंने परमाणु समझौते के माध्यम से भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया।
सादगी और ईमानदारी की मिसाल
डॉ. मनमोहन सिंह अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। वे राजनीति में रहते हुए भी कभी विवादों में नहीं फंसे। उनका जीवन सादगी और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक था।
निधन से देश को अपूरणीय क्षति
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है। वे न केवल एक कुशल नेता थे, बल्कि एक विचारक, अर्थशास्त्री और शिक्षक भी थे। उनका जीवन देश सेवा के प्रति समर्पित था, और उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।
अंतिम विदाई
शनिवार को जब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार होगा, तब पूरा देश उन्हें नम आंखों से विदा करेगा। उनकी सेवाओं और योगदान को याद करते हुए, देश उन्हें हमेशा गर्व और सम्मान के साथ याद करेगा।