The 1984 Anti-Sikh Riots : कनाडा के संसद में एक भारत विरोधी प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे एक भारतीय-कनाडाई सांसद के विरोध के बाद खारिज कर दिया गया. दरअसल, कनाडा की संसद में 1984 के सिख विरोधी दंगों को ‘नरसंहार’ घोषित करने के लिए प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव का भारतीय-कनाडाई हिंदू सांसद चंद्र आर्य ने कड़ा विरोध किया, जिसके बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.

कनाडा के हिंदू सांसद चंद्र आर्य ने दावा किया कि उन्हें इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए धमकियां भी दी गईं. आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि संसद में पेश हुआ यह प्रस्ताव राजनीतिक रूप से शक्तिशाली खालिस्तानी लॉबी से प्रस्तावित था. आर्य ने कनाडाई हिंदू लोगों से अपील करते हुए कहा कि खालिस्तानी लॉबी दोबारा ऐसे प्रस्ताव को पारित कराने की कोशिश कर सकती है, हिंदू कनाडाई लोगों से अनुरोध है कि वे अपने स्थानीय सांसदों से संपर्क करें और उनसे भविष्य में ऐसे प्रस्तावों का विरोध करने की मांग करें.

एनडीपी के सांसद ने पेश किया था भारत विरोधी प्रस्ताव

इस भारत विरोधी प्रस्ताव को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के सांसद सुख धालीवाल ने विदेशी मामलों और अंतरराष्ट्रीय विकास पर कनाडा के संसद के हाउस ऑफ कॉमंस की स्थायी समिति के सामने पेश किया था. कनाडा के हाउस ऑफ कॉमंस में चंद्र आर्य इकलौते सांसद थे, जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई थी और इसे पारित होने से रोका.

सांसद चंद्र आर्य ने क्या कहा?

सांसद चंद्र आर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘आज सरे-न्यूटन के सांसद ने सिखों के खिलाफ भारत में 1984 के सिख विरोधी दंगों को नरसंहार घोषित करने का प्रयास किया. उन्होंने अपने प्रस्ताव को पारित करने के लिए हाउस ऑफ कॉमंस के सभी सांसदों से सर्वसम्मति से सहमति मांगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सदन का इकलौता सदस्य था, जिसने इस प्रस्ताव के विरोध में ‘न’ कहा और मेरी एक आपत्ति इस प्रस्ताव को स्वीकार होने से रोकने के लिए पर्याप्त थी.’

प्रस्ताव के विरोध के बाद मिली धमकी

सांसद चंद्र आर्य ने कहा, ‘संसद भवन के अंदर इस प्रस्ताव को न कहने के लिए तुरंत बाद उन्हें धमकाया गया.’ उन्होंने कहा कि आज वे इस विभाजनकारी एजेंडे को रोकने में सफल हो गए, लेकिन अगली बार शायद इतने भाग्यशाली नहीं हो सकते. संसद भवन में खालिस्तानी लॉबी के सदस्य इसे लेकर फिर से दवाब बनाने का प्रयास जरूर करेंगे. उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है अगली बार जब किसी पार्टी का कोई सांसद इस प्रस्ताव को पेश करेगा, तो मैं इसे रोकने के लिए सदन में उपस्थित रहूं.

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